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*ऐसा था शहनशाह Baba Ji का मिशन*

गुरुमत की सिखलाई

एक बार की बात है महात्मा रामकृपाल दुबे मुम्बई के रहने वाले महात्मा जी ने आपके चरणों में बिनती की
"ऋषि जी आपने सारा जीवन गुरु चरणों में व्यतीत किया है हमे भी कुछ रहस्य समझाओ"
आपने उन्हें समझाया .....
यदि जीवन में ऊँचा उठाना है तो तीन बातो पर ध्यान देना।
पहली बात
संतो के साथ सदा नाता जुड़ा रहे,क्योंकि 'साध जंना दी कृपा बाझों खुद नू नहीं बदला सकदा' संत बक्शनहार होते है और मार्गदर्शक भी। इनसे संबंध सदा जुडना चाहिए
यह हमारी खुशी को कही गुना बढ़ाने वाले दुःख मिटाने वाले होते है
दूसरी बात
जो भी हुक्म आये उसे तन मन धन से मानो न कि अपनी दलील देकर आदेश के महत्व को कम करो ।
सद्गुरु का हुक्म सदा सुखदाई होता है। भले यह बात हमे समझ में आये या ना आये। जो महात्मा सद्गुरु के वचनों को निरंकार की आवाज समझकर मानते है, वही लाभान्वित होते है।
तीसरी बात
कभी भूलकर भी किसी महापुरष का दिल न दुखाओ सद्गुरु को यह बात अच्छी नही लगती। जो संतो से प्रीत करते है, उन्हें गुरु का प्यार भी नसीब होता है


धन निरंकार जी🙏

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